गुरुवार, 13 मई 2021

मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त 

जीवन परिचय -

हिन्दी साहित्य के गौरव राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्म सन 1886 ई• में चिरगाँव जिला झाँसी के एक प्रतिष्ठत वैश्य परिवार में हुआ था|आप के पिता सेठ रामशरण गुप्त हिन्दी के अच्छे कवि थे| पिता से ही आपको कविता की प्रेरणा प्राप्त हुई| द्विवेदी जी से आपको कविता लिखने का प्रोत्साहन मिला और सन 1899 ई• में आपकी कवितायें सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित होनी शुरू हो गयी वीर बुन्देलों के प्राप्त में जन्म लेने के कारण आपकी आत्मा और प्राण देशप्रेम में सराबोर थे यही राष्ट्रप्रेम आपकी कविताओं में सर्वत्र प्रस्फुटित हुआ है आपके चार भाई और थे सियारामशरण गुप्त आपके अनुज हिन्दी के आधुनिक कवियों में विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान रखते है गुप्त जी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई उसके बाद अंग्रेजी की शिक्षा के लिए झांसी भेजे गये परन्तु शिक्षा का क्रम अधिक न चल सका घर पर ही आपने बंगला संस्कृति और मराठी का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी के आदेशानुसार गुप्त जी ने सर्वप्रथम खड़ी बोली में भारत - भारती नामक राष्ट्रीय भावनाओं से पूर्ण पुस्तक की रचना की सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय विषयों पर लिखने के कारण वे राष्ट्रकवि कहलाये साकेत काव्य पर आपको हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने मंगलाप्रसाद परितोषिक प्रदान किया था | गुप्त जी को आगरा विश्वविद्यालय ने डी• लिट्• की मानद उपाधि से अलंकृत किया सन 1954 ई• में भारत सरकार ने पद्म भूषण के अलंकरण से इन्हे विभूषित किया वे दो बार राज्यसभा के सदस्य भी मनोनीत किये गये थे सरस्वती का यह महान उपासक 12 दिसम्बर सन 1964 ई• को परलोकगामी हो गये |

रचनाएँ -

इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है |
मौलिक रचनाएँ 

  • रंग में भंग 
  • जयद्रथ वध 
  • पद्य प्रबन्ध 
  • भारत - भारती 
  • शकुन्तला 
  • पद्मावती 
  • वैतालिकी 
  • किसान 
  • पंचवटी 
  • स्वदेश संगीत 
  • अनूदित रचनाएँ -
  • विरहिणी ब्रजांगना
  • मेघनाद वध 
  • हिडिम्बा 
  • प्यासी का युद्ध 
  • उमर खैयाम की रुबाइयाँ  



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