शुक्रवार, 14 मई 2021

essay on sports in hindi

Essay On My Favorite Game In Hindi, essay on sports in hindi,(खेल पर निबंध )

Mera Priya Khel Par Nibandh

(मेरा प्रिय खेल पर निबंध )


निबंध 

रूपरेखा-

1. प्रस्तावना. 2. आवश्यकता, 3. खेलों से लाभ, 4. शिक्षा और खेल, 3. उपसंहार ।

प्रस्तावना-

आज का युग खेलों का युग है। अखबार, रेडियो तथा सिनेमा आदि हर जगह खेलों को स्थान दिया जाता है।जीवन की सफलता के लिए शरीर और मन का स्वस्थ होना आवश्यक है। शिक्षा से यदि मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है,

खेलों से शारीरिक स्वास्थ्य। शरीर की अस्वस्थता में मन का स्वस्थ रहना असम्भव है। इस दृष्टि से शिक्षा में खेलों को विशेष महत्त्व प्रदान किया गया है। खेल विद्यार्थी का जीवन है। इसके अभाव में विद्यार्थी निष्क्रिय, आलसी एवं निराश हो जाता है। शिक्षा में खेलों का कितना महत्त्व है, इस विषय पर कुछ विचार कर लेना आवश्यक है।

जीवन में खेलों का आवश्यकता-

शिक्षा के क्षेत्र में खेलों की बहुत आवश्यकता है। विद्यार्थी का काम रात-दिन केवल किताबें रटकर पास होना ही नहीं है अपितु शरीर को स्वस्थ रखना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि पढ़ना। जो विद्यार्थी अध्ययन के साथ खेलों में भाग नहीं लेते हैं, वे कागजी पहलवान रह जाते हैं। उनकी दशा देखकर बड़ी दया आती है। यदि वे अपना कुछ समय खेल में भी लगाते तो उनकी यह दयनीय दशा कभी न होती। पढ़ते-पढ़ते थक जाने पर मस्तिष्क को फिर से ताजा बनाने के लिए खेल कूद आवश्यक हैं।

प्राय: खेल में भाग लेने वाले विद्यार्थी पढ़ने निपुण होते हैं। वास्तव में खेल के महत्त्व को खिलाड़ी ही समझ सकते हैं। जब खिलाड़ी खेल के मैदान में आता है, उस समय वह संसार के झंझटों से मुक्त हो जाता है। उसका लक्ष्य खेलना होता है-बस खेलना और कुछ नहीं। खिलाड़ियों के सुन्दर शारीरिक गठन को देखकर खेलों के महत्व को समझा जा सकता है। खेलों के महत्त्व को दृष्टि में रखकर ही स्कूलों व कालिजों में अध्ययन के साथ-साथ खेलों को विशेष स्थान दिया गया है।

परन्तु खेल केवल खेल की भावना से खेलने चाहिए। हार और जीत का खेल में कोई महत्त्व नहीं होता। खेल को जीतने से खिलाड़ी को शिक्षा मिलती है कि जीवन में सफलता पर घमंड नहीं करना चाहिए। खेल की हार खिलाड़ी को असफलता में हिम्मत न हारने की प्रेरणा देती है।

खेलों से लाभ-

खेलों से हमें बहुत-से लाभ होते हैं। खेलने वाले छात्र को आलस्य नहीं घेर पाता। खेलों से बुद्धि विकसित होती है और शरीर सुन्दर एवं सुगठित हो जाता है। अनुशासन की भावना पैदा होती है। सहपाठियों में प्रेम का संचार होता है। कार्य को शीघ्रता से करने की आदत पड़ जाती है। ईमानदारी व न्याय से कार्य करने की शिक्षा मिलती है। शरीर स्वस्थ होने से विद्याध्ययन में खूब मन लगता है। महात्मा गांधी कहा करते थे--"स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।' इनके अतिरिक्त खेलों से और भी लाभ होते हैं, यथा घमण्ड न करना, हारने पर भी हिम्मत न हारना आदि।

शिक्षा और खेल-

शिक्षा में खेलों का विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों का साथ-साथ चलना अधिक लाभदायक है।केवल शिक्षा ग्रहण करने वाला मनुष्य डरपोक, दुर्बल, आलसी तथा कायर बन जाता है। इस प्रकार केवल खेलों में भाग लेने वाला व्यक्ति भी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाता। यदि शिक्षा और खेल दोनों का उचित मेल कर दिया जाये तो सोने में सुगन्ध हो जायेगी। आजकल ऐसी शिक्षा पद्धति का आविष्कार हो रहा है जिसमें खेल के माध्यम से शिक्षा दी जाती है।

क्योंकि बचपन में बालक पढ़ाई की अपेक्षा खेल को अधिक पसन्द करते हैं। बच्चा निष्क्रिय होकर नहीं बैठ सकता। उसे ऐसा काम मिलना चाहिए जिससे वह सक्रिय रह सके। इसके लिए शिक्षा में खेल पद्धति को अपनाया गया है। कहने का तात्पर्य यह है कि शिक्षा और खेल में परस्पर गहरा सम्बन्ध है।

उपसंहार-

मनुष्य अपने जीवन काल में सदा कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। विद्यार्थी जितना खेल के मैदान में जाकर सीखते हैं, शायद उतना स्कूल की कक्षाओं में न सीखते हों। स्कूल का वातावरण बन्धन और भय का होता है, जबकि खेल के मैदान का वातावरण प्रेम और स्वतन्त्रता का होता है। वहाँ बच्चे पर किसी का दबाव नहीं होता। खेल के मैदान में वह जो कुछ ग्रहण करता है. वह चिरस्थायी होता है। स्पष्ट है कि शिक्षा में खेलों को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त होना चाहिए,

जिससे विद्यार्थी का चहुँमुखी विकास हो सके। हमें उत्कृष्ट खेल भावना से खेलों में भाग लेना चाहिए। स्वस्थ रहते हुए सौ वर्ष जीने की इच्छा पूर्ण करनी चाहिए।


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