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गुरुवार, 13 मई 2021

Karun Ras In Hindi,Karun Ras Example In Hindi

करुण रस की परिभाषा और उदाहरण |

Karun Ras In Hindi | Karun Ras Example In Hindi 


करुण रस- के परिभाषा|

परिभाषा- इसका स्थायी भाव 'शोक' है। जहाँ 'शोक' नामक स्थायी भाव विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत हो, वहाँ 'करुण' रस होता है।


करुण रस के उदाहरण| 

उदाहरण-

हा! बृद्धा  के  अतुल धन हा ! वृद्धता के सहारे!
हा! प्राणों के परम प्रिय हा! एक मेरे दुलारे!
हा! शोभा के सदन सम हा! रूप लावण्य हारे। 
हा। बेटा हा! हृदय धन हा! नेत्र तारे हमारे!
यह यशोदा के शोक का वर्णन है।


  • जथा पंख बिनु खग अति दीना।
  • मनि बिनु फनि करिवर कर हीना॥
  • अस मम जिवन बन्धु बिनु तोही।
  • जो जड़ दैव जिआवै मोही॥


  • प्रियपति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है?
  • दु:ख जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है?
  • लख मुख जिसका मैं, आज लौं जी सकी हूँ,
  • वह हृदय दुलारा नैन तारा कहाँ है?


  • कौरवों का श्राद्ध करने के लिए,
  • या कि रोने को चिता के सामने।
  • शेष अब है रह गया कोई नहीं,
  • एक वृद्धा एक अंधे के सिवा ॥


  • “शोक विकल सब रोवहिं रानी।
  • रूप, शील, बल तेज बखानी।"
  • करहि विलाप अनेक प्रकारा।
  • परहि भूमि तल बारहि बारा॥


  • हे खग मृग हे मधुकर बेनी।
  • तुम देखी सीता मृगनैनी॥


  • राम-राम कहि राम कहि,
  • राम-राम कहि राम।
  • तन परिहरि रघुपति विरह राउ गयउ सुरधाम॥


  • मम अनुज पड़ा है चेतनाहीन होके,
  • तरल हृदय वाली जानकी भी नहीं है।
  • अब बहु दु:ख से अल्प बोला न जाता,
  • क्षण भर रह जाता है न उद्विग्नता से॥


  • चहुँ दिसि कान्ह-कान्ह कहि टेरत,
  • अँसुवन बहत पनारे।  


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