मंगलवार, 30 मार्च 2021

Jaishankar prasad ka jivan parichay

Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay ( जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय )


जयशंकर प्रसाद 

जीवन परिचय - 

श्री जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 ई• में काशी में हुआ था | इनके पिता श्री देवीप्रसाद जी काशी के प्रसिद्ध जर्दा विक्रेता थे प्रसाद जी जब 12 वर्ष के ही थे की इनके पिता परलोकवासी हो गये और घर का सारा भार बालक प्रसाद के कन्धों पर आ पड़ा |उसके के बाद जयशंकर प्रसाद जी ने घर पर ही अध्ययन करके हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेजी का गम्भीर ज्ञान प्राप्त कर लिया बचपन से ही इनका जीवन संघर्षो में बीता | माता की भी मृत्यु हो गयी विधवा भाभी और मातृहीन शंकर को देखकर वे अपने आँसू सम्भाल न पाते थे | उनके आँसू काव्य में इसी विषाद की गूँज सुनाई पड़ती है अधिक श्रम से जर्जर होकर 14 नवम्बर सन 1937 ई• को 48 वर्ष की अल्पायु में इनका स्वर्गवास हो गया |

साहित्यिक परिचय - 

प्रसाद जी महान कवि, उच्च कोटि के नाटककार कहानीकार चिन्तक लेखक तथा उपन्यासकार थे | प्रसाद जी ने काव्य के विषय तथा क्षेत्र दोनों में मौलिक परिवर्तन किये | इन्होंने रीतिकाल में बदनाम श्रृंगार रस में सात्विकता का समावेश किया और श्रृंगार रस को पुनः रसराज पद पर स्थापित किया | 

कृतियाँ - 

प्रसाद जी महान साहित्यकार थे उनका साहित्य अत्यन्त विशाल है | साहित्य की विविध विधाओं पर उन्होंने अपनी लेखनी चलायी है | 

इनकी मुख्य कृतियाँ इस प्रकार है | 

  • चित्राधार 
  • कानन कुसुम
  • महाराणा का महत्त्व
  • प्रेम पथिक
  • झरना
  • आँसू
  • लहर
  • कामायनी
  • राज्यश्री
  • अजातशत्रु
  • चन्द्रगुप्त





गुरुवार, 25 मार्च 2021

Essay On Science In Hindi

निबंध 

विज्ञान के चमत्कार पर निबंध

( Essay On Science In Hindi )
रूपरेखा-

1. प्रस्तावना, 2. विज्ञान की देन, 3. हानियाँ, 4. उपसंहार

प्रस्तावना-

मनुष्य एक बुद्धिजीवी प्राणी है। अपनी बुद्धि के बल से ही वह असाध्य को साध्य और असम्भव को सम्भव बना लेता है। आज का युग बौद्धिक और वैज्ञानिक है। दिन-प्रतिदिन नये-नये आविष्कार हो रहे हैं। मनुष्य ने अपने बुद्धिबल से प्रकृति पर विजय प्राप्त कर ली है। जिन चीजों की हम कुछ समय पूर्व कल्पना भी नहीं कर पाते थे उन्हीं चीजों को आज हम अपने सामने देख रहे हैं। विज्ञान के नवीन आश्चर्यजनक चमत्कारों को देखकर दार्शनिकों की बुद्धि चकित हो जाती है। विज्ञान के चमत्कारों की कल्पना मनुष्य स्वप्न में भी नहीं कर सकता था।

विज्ञान की देन-

विज्ञान प्रद नवीन शक्ति और साधन निम्नलिखित हैं

(i) विद्युत-शक्ति-

विज्ञान के सभी आविष्कारों का मूल रूप बिजली है। एक बटन दबाने मात्र से कमरा प्रकाश से जगमगा उठता है, गर्मी-सर्दी से बचने के लिए पंखे तथा हीटर का उपयोग कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। रेडियो, टेलीफोन, सिनेमा, टेलीविजन आदि सभी आविष्कारों में विद्युत-शक्ति ही काम करती है। बड़े-बड़े मिलों, कारखानों और गाड़ियों का संचालन बिजली से होता है। बिजली हमारे लिए देवी वरदान सिद्ध हो रही है।

(ii) समाचार तथा मनोरंजन के साधन-

बेतार का तार बहुत आश्चर्यजनक आविष्कार है। बिना तार की सहायता से हम हजारों मील दूर बैठे अपने मित्रों से बात कर सकते हैं। घर बैठे हुए ही हजारों मील दूर देशों के समाचार रेडियो द्वारा सुन सकते हैं। टेलीविजन पर हम बोलने वाले या नाटक आदि करने वालों के चित्र भी देख सकते हैं। एक मिनट में समाचार को सारे संसार में प्रकाशित किया जा सकता है।

जेब में रेडियो डाल लीजिए तथा कहीं भी काम करते हुए उसे सुनते रहिए। टेलीफोन एक अद्भुत वस्तु बन गया है। टेलीफोन का डायल घुमाइये और तत्काल दूर देश में बैठे अपने सम्बन्धी अथवा मित्र से बात कर लीजिए।

(iii) परमाणु शक्ति-

अपार शक्ति से भरपूर अणुबम व उद्जन बम विज्ञान की ही देन है। परमाणु बम इतना शक्तिशाली होता है कि यदि उसका एक चने के बराबर भाग मोटर में लगा दिया जाये तो मोटर सैकड़ों वर्षों तक चलती रहेगी। एक छोटेसे परमाणु बम ने जापान के नागासाकी तथा हिरोशिमा जैसे विशाल नगरों की जरा-सी देर में नष्ट कर दिया था। अब ऐसे प्रक्षेपास्त्रों का आविष्कार हो चुका है जिनसे अपने स्थान पर बैठे हुए ही हजारों मील दूर प्रहार किया जा सकता है। परमाणु शक्ति का प्रयोग यदि मानव कल्याण के लिए किया जाये तो वह अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

(iv) अन्य आविष्कार-

तीव्रगामी राकेटों द्वारा चन्द्रमा पर मानव के चरण पहुँच चुके हैं। स्त्री को पुरुष तथा पुरुष को स्त्री बनाना अब सम्भव हो गया है। मनुष्य के कृत्रिम मस्तिष्क का निर्माण होने जा रहा है। ये सब विज्ञान के ऐसे आश्चर्यजनक चमत्कार हैं जिनकी हम पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे। विज्ञान ने मनुष्य को स्वर्गीय सुख, अपार धन तथा दुर्लभ साधन दिये हैं। निःसन्देह विज्ञान मनुष्य के लिए महान वरदान है। यहाँ तक कि कृषि क्षेत्र भी विज्ञान के प्रवेश ने अपूर्व सफलता प्राप्त की है। हमारे किसान कृषियन्त्रों एवं उन्नतशील खाद तथा कीटनाशकों से लाभान्वित हुए हैं। जैविक कृषि हमारे लिए विज्ञान की ही देन है।

हानियाँ-

विज्ञान ने मनुष्य के अकर्मण्य बना दिया है। वह आलसी एवं विलासी हो गया है। विश्व में भय, शंका एवं युद्ध का वातावरण बना हुआ है। विज्ञान की देन जो मानव जाति के लिए वरदान बन सकती थी, अभिशाप बनी हुई है। आज ऐसेऐसे बम बन चुके हैं यदि उनका विस्फोट कर दिया जाये तो समस्त विश्व नष्ट हो सकता है।

उपसंहार-

विज्ञान का यह रूप मानव जाति के लिए अभिशाप बन गया है। अस्त्र-शस्त्रों से कभी शान्ति स्थापित नहीं हो सकती है। विज्ञान मानव के लिए हानिकारक है या लाभदायक, यह आज एक विचारणीय विषय बना हुआ है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि शेक्सपियर ने कहा है-“न कोई वस्तु अच्छी है न बुरी, मनुष्य अपने विचारों के अनुसार उसे अच्छी या दुरी बना लेताहै।"  ठीक यही बात विज्ञान के विषय में भी कही जा सकती है।


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