सोमवार, 17 मई 2021

Gantantra Diwas Par Nibandh In Hindi

Gantantra Diwas Par Nibandh In Hindi

( गणतन्त्र दिवस पर निबन्ध हिंदी में )



रूपरेखा-

1. प्रस्तावना, 2. स्वतन्त्रता-प्राप्ति, 3. गणतन्त्र की स्थापना, 4. देशव्यापी उत्सव, 5. राजधानी में 26 जनवरी 6. उत्सव से प्रेरणा।

प्रस्तावना-

राष्ट्र का स्वतन्त्रता संग्राम पूरे चढ़ाव पर था। देश के अनेक भक्त फाँसी का फन्दा चूम चुके थे। वह दिन था 31 दिसम्बर 1929 ई० । लाहौर में रावी नदी के तट पर हो रहे अखिल भारतीय कांग्रेस के अधिवेशन में पं० जवाहरलाल नेहरू ने अध्यक्ष पद के घोषणा की- "पूर्ण स्वराज्य-प्राप्ति ही हमारा उद्देश्य है।" अधिवेशन में उपस्थित सभी नेताओं ने प्रतिज्ञा की कि पूर्ण स्वराज्य प्राप्त कर ही हम दम लेंगे। नया जोश, नयी चेतना और नया उत्साह सारे देश में फैल गया। प्रथम स्वतन्त्रता दिवस 26 जनवरी, 1930 ई० को मनाया गया था।

स्वतन्त्रता-प्राप्ति-

प्रति वर्ष 26 जनवरी को अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण करते हुए स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष चलता रहा। कह
बार सत्याग्रह हुए। देशप्रेमियों ने जेले भर दी। महात्मा गांधी की नीतियों पर चलन हुए लोगों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी। फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को देश स्वतन्त्र हुआ और भारत माता की परतन्त्रता की जंजीरें चटाय से टूट गर्यो । गणतन्त्र की स्थापना-देश स्वतन्त्र तो हुआ किन्तुं उस समय हमारे पास न अपना संविधान था, न अपने कानून है। अंगों के बनाये हुए विधान और कानून के अधीन ही कार्य प्रारम्भ हुआ। संविधान सभा बनायी गयी।
संविधान का निर्माण हुवा और 26 जनवत. 1930 ई० को भारत में सम्पूर्ण प्रभुत्व गणराज्य की घोषणा हुई। हमारा संविधान लागू हुआ और डॉ. राजेन्द्र प्रमाद स्वतन्य नान्न के प्रथम राष्ट्रपति बने। इस प्रकार 26 जनवरी, सन 1950 ई० को जो स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया, वह 20 वर्ष बाद 26 जनवरी सन् 1950 ई० को प्रथम गणतन्त्र के रूप में परिवर्तित हो गया। उस दिन सम्पूर्ण देश ने हर्षोल्लास के साथ उत्सव मनाया। गाँव गाँव और शहर-शहर में जनसभाएं हुईं, भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। दिल्ली तो उस दिन दुलहिन बनी थी। देश के कोने -कोने में लोग उत्सव देखने आये थे। विभिन्न प्रदेशों की झाँकियाँ शोभा पा रही थीं। लाल किले पर मुख्य उत्सव था। तीनों सेनाओं ने सलामी दी। राष्ट्रगान की धुन बजायी गयी। तिरंगा फहराया गया। ऐसा अपूर्व उत्सव सम्भवत: दिल्ली में पहली बार हुआ था। उसी दिन में 26 जनवरी, हमारे देश का महान राष्ट्रीय पर्व बन गया है।

देशव्यापी उत्सव-

26 जनवरी हमारे राष्ट्र का सबसे महान राष्ट्रीय उत्सव है। यह किसी विशेष मजहब, सम्प्रदाय अथवा वर्ग विशेष का उत्सव नहीं, सकल भारतीयों का उत्सव है। यह जन-जन का त्योहार है। भारत के कोने-कोने में गाँवों और नगरों में धूमधाम से यह उत्सव मनाया जाता है। इस दिन सब सरकारी तथा गैर-सरकारी दफ्तरों और संस्थाओं में छुट्टी रहती है। शहरों में विशेष चहल-पहल होती है।

राजधानी में 26 जनवरी-

गणतन्त्र दिवस का उत्सव राजधानी में दर्शनीय होता है। भारत की विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की संख्या में जनता प्रति वर्ष गणतन्त्र दिवस का उत्सव देखने आती है। इस दिन राष्ट्रपति जल सेना, स्थल सेना तथा नभ मेना की सलामी लेते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति भवन से एक बहुत बड़ा जुलूस बड़ी-बड़ी सड़कों से होता हुआ लाल किले तक पहुँचना है। इस जुलूस में कई तरह की सैनिक टुकड़ियाँ, फौजी सामान तथा अस्त्र-शस्त्र होते हैं। इसमें भारत के प्राय: सभी प्रान्नों की सांस्कृतिक झाँकियाँ देखने योग्य होती हैं।

रात में बिजली के प्रकाश से दीवाली मनायी जाती है। इसी प्रकार दूसरे नगगे में भी जुलूस निकलते हैं, खेलकूद होते हैं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम जुटाये जाते हैं।

उत्सव से प्रेरणा-

26 जनवरी के दिन हमें एकता, देशभक्ति और जनसेवा की प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए तथा देश के उत्थान और सर्वांगीण विकास में सहयोग का संकल्प लेना चाहिए।


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