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गुरुवार, 13 मई 2021

प्रो जी सुन्दर रेड्डी का जीवन परिचय

प्रो जी सुन्दर रेड्डी का जीवन परिचय

(Proji sunder reddy ka jivan parichay)

प्रो•जी• सुन्दर रेड्डी 

जीवन परिचय - 

प्रो• जी• सुन्दर रेड्डी का जन्म सन 1919 में दक्षिण भारत में हुआ था|हिन्दी के अतिरिक्त इनका अधिकार तमिल तथा मलयालम भाषाओ पर भी था|इन्होने बत्तीस वर्षो से भी अधिक समय तक आंध्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष पद को सुशोभित किया |

साहित्यिक परिचय - 

प्रोफेसर जी• सुन्दर रेड्डी की साहित्यिक सेवा, साधना और निष्ठा सभी कुछ प्रशंसनीय है | यघपि आप हिन्दीतर प्रदेश के निवासी है | तथापि हिन्दी भाषा पर आपका अच्छा अधिकार है | आप के हिन्दी और तेलुगु एक तुलनात्मक अध्ययन में साहित्य की प्रमुख प्रवित्तीयों तथा प्रमुख साहित्यकारों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है | तमिल, तेलुगु और मलयालम दक्षिण भारत की चार प्रमुख भाषायें हैं | आप ने इन चारो में ही साहित्य रचना की तथा इन चारों भाषा के साहित्यों का इतिहास प्रस्तुत करके अपनी प्रखर प्रतिभा का परिचय दिया हैं | आप की इस कृति के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल डॉक्टर बी• गोपाल रेड्डी ने लिखा हैं कि यह ग्रन्थ तुलनात्मक अध्ययन के क्षेत्र का पथ-प्रदर्शन हैं | 

रचनाएँ -  

रेड्डी जी की अभी तक निम्नलिखित रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं -

  • साहित्य और समाज 
  • मेरे विचार 
  • हिन्दी और तेलुगु : एक तुलनात्मक अध्ययन 
  • दक्षिण की भाषायें और उनका साहित्य 
  • वैचारिकी शोध और बोध 
  • तेलुगु - वेलुगु दारुल 
  • लेंग्वेज प्रोब्लम इन इंडिया (सम्पादित अंग्रेजी  ग्रन्थ ) आदि 


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Jivan Parichay In Hindi (जीवन परिचय )

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जीवन परिचय-

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय 

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय 

डॉ• राजेन्द्र प्रसाद का जीवन परिचय 

डॉ• भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय 

सूरदास का जीवन परिचय 

तुलसीदास का जीवन परिचय 

रसखान का जीवन परिचय 

बिहारीलाल का जीवन परिचय 

सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन परिचय 

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय 

रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय 

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय 

सुभद्राकुमारी चौहान का जीवन परिचय 

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय 

अशोक वाजपेयी का जीवन परिचय 

श्यामनारायण पाण्डेय का जीवन परिचय 


मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त 

जीवन परिचय -

हिन्दी साहित्य के गौरव राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्म सन 1886 ई• में चिरगाँव जिला झाँसी के एक प्रतिष्ठत वैश्य परिवार में हुआ था|आप के पिता सेठ रामशरण गुप्त हिन्दी के अच्छे कवि थे| पिता से ही आपको कविता की प्रेरणा प्राप्त हुई| द्विवेदी जी से आपको कविता लिखने का प्रोत्साहन मिला और सन 1899 ई• में आपकी कवितायें सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित होनी शुरू हो गयी वीर बुन्देलों के प्राप्त में जन्म लेने के कारण आपकी आत्मा और प्राण देशप्रेम में सराबोर थे यही राष्ट्रप्रेम आपकी कविताओं में सर्वत्र प्रस्फुटित हुआ है आपके चार भाई और थे सियारामशरण गुप्त आपके अनुज हिन्दी के आधुनिक कवियों में विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान रखते है गुप्त जी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई उसके बाद अंग्रेजी की शिक्षा के लिए झांसी भेजे गये परन्तु शिक्षा का क्रम अधिक न चल सका घर पर ही आपने बंगला संस्कृति और मराठी का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी के आदेशानुसार गुप्त जी ने सर्वप्रथम खड़ी बोली में भारत - भारती नामक राष्ट्रीय भावनाओं से पूर्ण पुस्तक की रचना की सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय विषयों पर लिखने के कारण वे राष्ट्रकवि कहलाये साकेत काव्य पर आपको हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने मंगलाप्रसाद परितोषिक प्रदान किया था | गुप्त जी को आगरा विश्वविद्यालय ने डी• लिट्• की मानद उपाधि से अलंकृत किया सन 1954 ई• में भारत सरकार ने पद्म भूषण के अलंकरण से इन्हे विभूषित किया वे दो बार राज्यसभा के सदस्य भी मनोनीत किये गये थे सरस्वती का यह महान उपासक 12 दिसम्बर सन 1964 ई• को परलोकगामी हो गये |

रचनाएँ -

इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है |
मौलिक रचनाएँ 

  • रंग में भंग 
  • जयद्रथ वध 
  • पद्य प्रबन्ध 
  • भारत - भारती 
  • शकुन्तला 
  • पद्मावती 
  • वैतालिकी 
  • किसान 
  • पंचवटी 
  • स्वदेश संगीत 
  • अनूदित रचनाएँ -
  • विरहिणी ब्रजांगना
  • मेघनाद वध 
  • हिडिम्बा 
  • प्यासी का युद्ध 
  • उमर खैयाम की रुबाइयाँ  



मंगलवार, 30 मार्च 2021

Jaishankar prasad ka jivan parichay

Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay ( जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय )


जयशंकर प्रसाद 

जीवन परिचय - 

श्री जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 ई• में काशी में हुआ था | इनके पिता श्री देवीप्रसाद जी काशी के प्रसिद्ध जर्दा विक्रेता थे प्रसाद जी जब 12 वर्ष के ही थे की इनके पिता परलोकवासी हो गये और घर का सारा भार बालक प्रसाद के कन्धों पर आ पड़ा |उसके के बाद जयशंकर प्रसाद जी ने घर पर ही अध्ययन करके हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेजी का गम्भीर ज्ञान प्राप्त कर लिया बचपन से ही इनका जीवन संघर्षो में बीता | माता की भी मृत्यु हो गयी विधवा भाभी और मातृहीन शंकर को देखकर वे अपने आँसू सम्भाल न पाते थे | उनके आँसू काव्य में इसी विषाद की गूँज सुनाई पड़ती है अधिक श्रम से जर्जर होकर 14 नवम्बर सन 1937 ई• को 48 वर्ष की अल्पायु में इनका स्वर्गवास हो गया |

साहित्यिक परिचय - 

प्रसाद जी महान कवि, उच्च कोटि के नाटककार कहानीकार चिन्तक लेखक तथा उपन्यासकार थे | प्रसाद जी ने काव्य के विषय तथा क्षेत्र दोनों में मौलिक परिवर्तन किये | इन्होंने रीतिकाल में बदनाम श्रृंगार रस में सात्विकता का समावेश किया और श्रृंगार रस को पुनः रसराज पद पर स्थापित किया | 

कृतियाँ - 

प्रसाद जी महान साहित्यकार थे उनका साहित्य अत्यन्त विशाल है | साहित्य की विविध विधाओं पर उन्होंने अपनी लेखनी चलायी है | 

इनकी मुख्य कृतियाँ इस प्रकार है | 

  • चित्राधार 
  • कानन कुसुम
  • महाराणा का महत्त्व
  • प्रेम पथिक
  • झरना
  • आँसू
  • लहर
  • कामायनी
  • राज्यश्री
  • अजातशत्रु
  • चन्द्रगुप्त





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